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पंचशील सिद्धांत

                       पंचशील सिद्धांत ‘पंचशील'  के पांच सिद्धांतों का प्रतिपालन भी भारत की शांतिप्रियता का द्योतक है। 1954 के बाद से भारत की विदेश नीति को ‘पंचशील' के सिद्धांतों ने एक नई दिशा प्रदान की। पंचशील से अभिप्राय है-  आचरण के पांच सिद्धांत  । जिस प्रकार बौद्ध धर्म में ये व्रत एक व्यक्ति के लिए होते हैं उसी प्रकार आधुनिक पंचशील के सिद्धांतों द्वारा राष्ट्रों के लिए दूसरे के साथ आचरण के सम्बंध निश्चित किए गए हैं। ये सिद्धांत निम्नलिखित प्रकार से हैं- एक-दूसरे की प्रादेशिक अखण्डता और सर्वोच्च सत्ता के लिए पारस्परिक सम्मान की भावना अनाक्रमण एक-दूसरे के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करना समानता एवं पारस्परिक लाभ, तथा शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व ‘पंचशील' के इन सिद्धांतों का प्रतिपादन सर्वप्रथम 29 अप्रैल, 1954 को तिब्बत के सम्बंध में भारत और चीन के बीच हुए एक समझौते में किया गया था। 28 जून, 1954 को चीन के प्रधानमंत्री चाऊ-एन-लाई तथा भारत के प्रधानमंत्री नेहरू ने पंचशील में अपने विश्वास को दोहराया। इसके उपरांत एशिया के प्रायः सभी देशों ने ‘पंचशील'