आरक्षण क्या है? क्यू है ? आरक्षण क्या है? पहले इसके बारे में जानना अति-आवश्यक है तभी हम इसकी मूल धारणा को जान पाएंगे। अलग अलग लोगो में अलग अलग मत है कोई कहता है होना चाहिए कोई कहता नहीं होना चाहिए। कोई कहता है यह संविधान की मूल अवधारणा के खिलाफ है। कोई कहता है जो बाबा साहेब लिख कर गए आरक्षण के बारे में उसके खिलाफ है। सबसे मूल बात जो है आरक्षण उसके बारे में लोग बात तो करना चाहते है लेकिन क्या वे इसके व्यापक स्तर को बहस का मुद्दा बनाना चाहते है शायद नहीं, क्योंकि किसी से भी बहस कर ले उनके आरक्षण का मुख्य मुद्दा हमेशा जातिगत आरक्षण के साथ चिपकी हुई नज़र आती है। ऐसा क्यों है? ऐसा इसीलिए है क्योंकि वे आरक्षण की मूल अवधारणा जो बाबा साहेब ने संविधान में रखी थी उससे भली भाँति अवगत ही नहीं है और जब उसी का पालन आज तक नहीं हो पाया जिसकी वजह से आप और हम इस बहस को एक मुद्दे के तौर पर अपने मन मुताबिक उछालते रहते है। सबसे पहले आप आरक्षण के बारे में समझे इतना विरोध होने के वावजूद बाबा साहेब ने यह प्रावधान संविधान में रखा, ऐसा कैसे हो गया जहाँ संविधान को बनाने के करता धर्ता आज की तारीख म