जागते भी रहो' जगाते भी रहो | | तभी तुमको तुम्हारे हक , अधिकार व समाज मे संम्मान मिलेगा !
| जागते भी रहो' जगाते भी रहो | |
तभी तुमको तुम्हारे हक , अधिकार व समाज मे संम्मान मिलेगा !
डॉ . बाबासाहेब आंबेडकर
हमारे "आदर्श" बदलते है तो,हमारे "विचार" बदलते है ।
"विचार" बदलते है तो,"सोचने का तरीका" बदल जाता है ।
"सोचने का तरीका" बदल जाता है तो, हमारी "मानसिकता" बदल जाती है ।
"मानसिकता" बदलती है तो,हमारे "तर्क" बदल जाते है ।
हमारे "तर्क" बदलते है तो,हम "सवाल-जवाब" करते है ।
हम "सवाल-जवाब" करते है तो, हमारे बीच"चर्चा" ये होती है ।
हमारे बीच "चर्चा" होती है तो, हमे "सही और गलत" का "ज्ञान" होता है ।
"सही और गलत" का "ज्ञान" हो जाए तो, हम अपने "हक अधिकार" पाने के लिए "विद्रोह"करते है ।
हम आपने "हक अधिकार" मिलने के लिए"विद्रोह" करते है तो, हम मे "त्याग", "समर्पण", "बलिदान" करने का "जज्बा" निर्माण हो जाता है ।
"त्याग", "समर्पण", "बलिदान" करने का"जज्बा" निर्माण हो जाता है तो, हमे कोई "पराजित" नही कर सकता ।
इसलिए आप लोगों को एक ही काम करना है , लोगों को "जागृत" करने के लिए घर से निकलना है ॥
| | जागते भी रहो' जगाते भी रहो | |
तभी तुमको तुम्हारे हक , अधिकार व समाज मे संम्मान मिलेगा !
डॉ . बाबासाहेब आंबेडकर
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