गौतम बुद्ध की शिक्षा --भक्ति का पात्र
एक बार एक गाँव का मुखिया भगवान बुध्द के पास आया ।और पुछाकी क्या आप सभी जीवों के प्रति करुना भाव रखते हैं ?
भगवान बुध्द ने स्वीकार किया ।
मुखिया -- तो क्या आपकी शिक्षाएं सभी लोग ग्रहण कर पाते हैं ?
बुद्ध ने समझाया की यदि किसी किसान के पास तीन तरह के खेत हैं, एक खेत की मिटटी बहुत उप्जाऊ है । दुसरे खेत की मिटटी सामान्य है
तीसरे खेत की मिटटी रेतीली है उसमें कुछ नहीं उग सकता या अधिक कुछ नहीं पैदा हो सकता । अब किसान खेत में बीज बोये तो आपके ख्याल से
किस खेत में उन्हें बोना चाहेगा ?
मुखिया ---वह सबसे पहले उन्हें उपजाऊ मिटटी में बोयेगा । उस खेत कोभर लेने के बाद वह उस खेत का बीजारोपण करेगा जिसकी मिटटी सामान्य है । जो खेत बंजर है हो सकता है वह उसे बोये ही नहीं ।बीज बेकार करने में उसे कोई फायदा नजर नहीं आयेगा ।
बुद्ध--ठीक ऐसे ही जो व्यक्ति सत्य की तलाश में रहते हैं वे उपजाऊ भूमि की तरह हैं उन्हें गुरु की सम्पूर्ण शिक्षा ह्रदयंगम हो जाती है वे सत्य की साधना में लग जाते हैं । आम लोग सामान्य भूमि जैसे होते हैं उनको भी वही शिक्षा दी जाती है परन्तु वे अन्य दुसरे कार्यों में ज्यादा ध्यान देते हैं परिणाम स्वरूप उन्हें सत्य का ज्ञान कम हो पाता है उनके ह्रदय में दिव्य ज्योति कम प्रकाशित हो पाती है ।
मुखिया---तो फिर आप उन लीगों को शिक्षा क्यों देते हो जो सुनने को
तैयार नहीं हैं ?
बुद्ध ने उत्तर दिया कि यदि किसी दिन मेरी शिक्षा का एक भी वाक्य समझ लेंगे और उसे अपने दिल में उतार लेंगे तो उससे उन्हें लम्बे समय तक ख़ुशी और आशीष मिलेंगे ।
मुखिया समझ गया कि बुद्ध जी पूरी दुनियां को शिक्षा देने आये हैं ।
सभी उसके लिए तैयार थे या नहीं इसका उन्होंने कोई सोच विचार नहीं किया । वे दूरदर्शी थे वे यह जानते थे की एक न एक दिन सभी सत्य की खोज में निकलेंगे ।
इस प्रसंग से यह शिक्षा मिलती है कि हम सब भी अपने विकास के लिए प्रयत्न करते रहें हमारी आत्मा इस इन्तजार में है की हम कब अपने उत्थान की तरफ कदम बढ़ा रहे हैं ।
हमारे संत महापुरुष प्रेम और करुना से भरे हुए हमारे चारों तरफ सत्य के बीज विखेर रहे हैं ताकि हमारे ह्रदय में सम्पूर्ण शिक्षा बोई जासके
और हम पूरी तरह से जाग्रत हो जाएँ ।
एक बार एक गाँव का मुखिया भगवान बुध्द के पास आया ।और पुछाकी क्या आप सभी जीवों के प्रति करुना भाव रखते हैं ?
भगवान बुध्द ने स्वीकार किया ।
मुखिया -- तो क्या आपकी शिक्षाएं सभी लोग ग्रहण कर पाते हैं ?
बुद्ध ने समझाया की यदि किसी किसान के पास तीन तरह के खेत हैं, एक खेत की मिटटी बहुत उप्जाऊ है । दुसरे खेत की मिटटी सामान्य है
तीसरे खेत की मिटटी रेतीली है उसमें कुछ नहीं उग सकता या अधिक कुछ नहीं पैदा हो सकता । अब किसान खेत में बीज बोये तो आपके ख्याल से
किस खेत में उन्हें बोना चाहेगा ?
मुखिया ---वह सबसे पहले उन्हें उपजाऊ मिटटी में बोयेगा । उस खेत कोभर लेने के बाद वह उस खेत का बीजारोपण करेगा जिसकी मिटटी सामान्य है । जो खेत बंजर है हो सकता है वह उसे बोये ही नहीं ।बीज बेकार करने में उसे कोई फायदा नजर नहीं आयेगा ।
बुद्ध--ठीक ऐसे ही जो व्यक्ति सत्य की तलाश में रहते हैं वे उपजाऊ भूमि की तरह हैं उन्हें गुरु की सम्पूर्ण शिक्षा ह्रदयंगम हो जाती है वे सत्य की साधना में लग जाते हैं । आम लोग सामान्य भूमि जैसे होते हैं उनको भी वही शिक्षा दी जाती है परन्तु वे अन्य दुसरे कार्यों में ज्यादा ध्यान देते हैं परिणाम स्वरूप उन्हें सत्य का ज्ञान कम हो पाता है उनके ह्रदय में दिव्य ज्योति कम प्रकाशित हो पाती है ।
मुखिया---तो फिर आप उन लीगों को शिक्षा क्यों देते हो जो सुनने को
तैयार नहीं हैं ?
बुद्ध ने उत्तर दिया कि यदि किसी दिन मेरी शिक्षा का एक भी वाक्य समझ लेंगे और उसे अपने दिल में उतार लेंगे तो उससे उन्हें लम्बे समय तक ख़ुशी और आशीष मिलेंगे ।
मुखिया समझ गया कि बुद्ध जी पूरी दुनियां को शिक्षा देने आये हैं ।
सभी उसके लिए तैयार थे या नहीं इसका उन्होंने कोई सोच विचार नहीं किया । वे दूरदर्शी थे वे यह जानते थे की एक न एक दिन सभी सत्य की खोज में निकलेंगे ।
इस प्रसंग से यह शिक्षा मिलती है कि हम सब भी अपने विकास के लिए प्रयत्न करते रहें हमारी आत्मा इस इन्तजार में है की हम कब अपने उत्थान की तरफ कदम बढ़ा रहे हैं ।
हमारे संत महापुरुष प्रेम और करुना से भरे हुए हमारे चारों तरफ सत्य के बीज विखेर रहे हैं ताकि हमारे ह्रदय में सम्पूर्ण शिक्षा बोई जासके
और हम पूरी तरह से जाग्रत हो जाएँ ।
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