जैसे फेअर अँड लवली लगाणे से आदमी 30 दिन मे गोरा बन जाता है वैसे है ऐ 50 दिन के अच्छे दिन

जैसे फेअर अँड लवली लागणे से आदमी 30 दिन मे गोरा बन जाता है वैसे है ऐ 50 दिन के अच्छे दिन


सारे भारतीय लोगो का काला धन बँक मे जमा हो गया, जो कभी बँक के आसं पास नही गये थे उनको
1,2 दिन लाईन लगाना पडा पुरा महिने ऐे सील सीला चालता राहा
ऐ सब देखकर सारे भक्त ,सरकार सभी लोग खुश हो गए
हमारे मोदी जी का फैसला बिल्कुल सही था
कही भक्त गल्ली गल्ली ख़ुशी के मारे मरे जा रहे थे
तो कुछ लोक बँके के लाईन मे मरे जा रहे थे
जो लोग मर रहे थे उसे सरकार ,भक्त अमर कर रही थी उनकी गिन्ती एक शहीद शिपाई के समान हो रही थी
हर कोई पडे लिखे लोग सरकार कि तारीफ करणे मे जुटा था ,और अपने सभी गलत काम के पैसे अपने बेबी के
नाम ले राहा था
फिर भी सभी लोगो के साथ सीना ताण के बोल रहे थे सरकार ने बहुत बडिया काम कर रही है
हम सभी लोग खुश थे ए फेसले से सभी राजकीय पार्टी खुश थी
लेकिन फिर समज मे नही आ राहा था कि दुःखी कोण हो राहा है
ऐ सब अभि भी चल राहा है लेकिन किसी ने अभी तक ओ जो 70% जनता गाव ,खेडो मे रहती है
जो गाव बँकॉ से कोसो दूर है उनके बारे मे तो कोइ सोचा हि नही
जीस गाव मे मोबाईल चार्जिंग के लिये चार चार दिन लाईट रहती नही है ऐसे आज भी लाखो ,करोडो गाव है उद्धर अपका स्वॅप मशीन, कैसे टिख सकता है
जो अंगुठा छाप है ओ लोग कैसे आप का चेक इस्टमाल कर पायेंगे उनके अगर चेक पे साइन गलत होणे पे सरकार ,बँक कितने फर्जी केस दर्ज करेंगे या कितना जुर्मानं भरणा पडेंगा
कितने गाव के लोग आपण पिन कोड अपने साथ लेकर चलेंगे या सभी के सामने दुकान,दवाखाना,बस स्टॉप,ट्रेन के तिकीट के लिये सब के सामने लिखे होइ पर्ची बार बार निकाल के देखेंगे या किसि को बोलेंगे बेठा ये सही है या गलत थोडा देख लो
क्या वाकई ए सिस्टम हमारे देश कि 70%गाव मे राहणे वाले लोगो को सुरक्षा प्रधान करता है या ऐ सभी से वो लोग बरबाद हो जैएंगे आज के तारीख मे रोज शहरो मे कितने खबरे अती रहती है किसिका कार्ड हॅक हो गया किसिका बँक अकाउंट तो ये लोक कितना सुरक्षित रह पायेंगअगरर सरकार को हमारे देश को डिजिटल इंडिया बनाना है तो पहिले सभी 100% लोगो को शिक्षित करणा होगा तभी ए डिजिटल इंडिया शो
चल सकेगा सिर्फ कुछ लोगो के हात मे जिओ सिम कार्ड देखकर बोल नही सकते देश बदल राहा है
डिजिटल हो राहा है
फिर भी हमारे भक्त गण बोल रहे है देश बद्दल रहा हैं
रोज नये नये नियम बॅंकॉ मे लगा रहे है
फिर भी आज पैसे से चलने वाले खबर समाचार वाले सभी अंजाण है ऐसे दिखाते है कि कुछ देश मे परिशानी है हि नही.
अमोल भालेराव

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