हम भारतीय कैसे हैं?
हम हमेशा अपनी पहचान के बारे में सोचते हैं कि हम भारतीय कैसे हैं। भारतीय होने का मतलब क्या है? हम हर दिन जय श्री राम, नमस्ते, आदाब, जय भीम, हरी ओम जैसे शब्दों का उपयोग करते हैं, लेकिन क्या हमने कभी सुबह उठते ही "जय भारत" कहा है? शायद नहीं। हम यह क्यों नहीं कहते? जब हम रोज़ उन सड़कों पर चलते हैं, जहां लाखों लोग आते-जाते हैं, तो हमें भीख मांगते बच्चे, बुजुर्ग, और शारीरिक रूप से अक्षम लोग दिखाई देते हैं। वे भी इसी देश के नागरिक हैं।
कभी हमने सोचा कि जिन बच्चों को स्कूल में होना चाहिए था, वे सड़कों पर भीख क्यों मांग रहे हैं? क्या हमने कभी उन बच्चों के बारे में कुछ करने की कोशिश की है? क्या हमने कभी 50-60 लोगों को इकट्ठा करके उन बच्चों को स्कूल पहुंचाने का प्रयास किया है? अगर नहीं, तो हम खुद को कैसे भारतीय कह सकते हैं?
हमारे सामने अगर कोई बुजुर्ग व्यक्ति ऑटो के लिए खड़ा हो, तो क्या हम उन्हें ऑटो में बैठाकर खुद दूसरा ऑटो पकड़ने की सोचते हैं? नहीं। हमारे सामने जब कोई पुलिसकर्मी या सरकारी कर्मचारी रिश्वत लेता है, तो क्या हमने कभी उसे यह कहा कि यह गलत है? यह तो उसका कर्तव्य है कि वह ईमानदारी से काम करे, फिर वह हमसे या दूसरों से रिश्वत क्यों लेता है?
हम महापुरुषों का जिक्र करते हैं, जिन्होंने अपनी पूरी जिंदगी देश के लिए समर्पित कर दी। लेकिन क्या हमारे घर में उनके चित्र हैं? साल में एक या दो दिन, उनके जन्मदिन या पुण्यतिथि पर हम उन्हें याद करते हैं, पर बाकी समय?
हमारे घरों में देवी-देवताओं की तस्वीरें होती हैं, लेकिन क्या हम उन महापुरुषों की तस्वीरें रखते हैं, जिन्होंने इस देश के लिए अपनी जान तक दे दी? मंदिरों और मस्जिदों के ट्रस्टों के पास करोड़ों रुपए होते हैं, फिर भी हमारे देश में कुपोषण के मामले दुनिया में सबसे ज्यादा हैं। क्या हमने कभी इस पर विचार किया है?
हम तिरंगे की शान की बात करते हैं। कोई तिरंगे का अपमान करे तो हम जाग जाते हैं, लेकिन क्या हमने साल में कितनी बार अपने तिरंगे का सम्मान किया है? क्या हमारे घर में तिरंगा है?
यह देश की सच्चाई है कि 99% लोग सिर्फ अपने बारे में सोचते हैं। देश के हित के लिए काम करने वाले लोग बहुत कम होते हैं। भ्रष्टाचार, गंदगी, बिजली, पानी की समस्याओं के खिलाफ आवाज़ उठाने से कतराते हैं। अगर हम असली भारतीय बनना चाहते हैं, तो हमें इन मुद्दों पर खड़े होकर आवाज़ उठानी होगी।
असली भारतीय वे हैं जो सीमा पर खड़े होकर दिन-रात देश की सुरक्षा करते हैं। वे अपनी पूरी ज़िंदगी इस देश के नाम कर देते हैं। उनके अलावा कोई भी सरकारी कर्मचारी, अधिकारी या नेता उतनी निष्ठा से देश के बारे में नहीं सोचता|
इसलिए अगर हम खुद को भारतीय कहते हैं, तो हमें जात-पात से ऊपर उठकर देशहित में सोचने की जरूरत है। जब तक हम सिर्फ अपने स्वार्थ के बारे में सोचते रहेंगे, तब तक हम सिर्फ एक साधारण नागरिक रहेंगे, असली भारतीय नहीं।
अगर मेरी बात किसी को बुरी लगी हो, तो आप मुझे गाली दे सकते हैं, लेकिन सच यही है।
जय भारत,जय संविधान
महार कोण होते? वेशीबाहेर राहून गावाचं रक्षण करणारा, शेती, गावांच्या सीमा सांगणारा, व्यापार्यांना संरक्षण पुरवणारा, शेतसारा आणि राज्याचा खजिना नियोजित ठिकाणी सुरक्षित पोहोचवणारा, असा समाजाचा रक्षक म्हणजे महार समाज. पण कामाच्या स्वरूपामुळं त्यांना वेशीबाहेरच ठेवण्यात आलं… महार कोण होते? या प्रश्नाचे उत्तर देण्याआधी सर्वप्रथम महार समाज म्हणजे काय हे समजावून घ्यायला पाहिजे. जे सध्या माहित आहे ते असेः 1. महार समाजाचे वास्तव्य गावकुसाबाहेर होते. 2. महार समाज ग्रामरक्षणाचे कार्य करत होता. वेशीचे रक्षण हे त्याचे नुसते कर्तव्यच नव्हे तर जबाबदारी होती. चोर नाही सापडला तर चोरीची भरपाई महारांनाच द्यावी लागत असे. 3. चोरांचा माग काढणे, गावात येणार्या जाणार्यांची नोंद ठेवणे, संशयितांना वेशीवरच अडवून ठेवणे हे त्यांचे कार्य होते. 4. शेतीच्या वा गावाच्या सीमांबाबत तंटे उद्भवले तर महाराचीच साक्ष अंतिम मानली जात असे. 5. महारांची स्वतंत्र चावडी असे आणि तिचा मान गाव-चावडीपेक्षा मोठा होता. 6. व्यापारी जेंव्हा आपले तांडे घेवून निघत तेंव्हा त्यांच्या रक्षणासाठी महारांची पथके नियुक्त असत.
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